Bajrang Baan

(श्री बजरंग बाण)

Bajrang Baan
बजरंग बाण भगवान हनुमान की स्तुति में एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे उनके भक्त विशेष रूप से हनुमान जयंती और मंगलवार को पढ़ते हैं।

श्री बजरंग बाण

  • ॥ दोहा ॥
  • निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान ।।
    तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥॥

  • ॥ चौपाई ॥
  • जया हनुमंत संत हितकारी।
    सुनी लिजई प्रभु अरज हमारी॥

  • जन के काज बिलंब न कीजै।
    आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

  • जैसे कूदि सिंधु महिपारा।
    सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥

  • आगे जाय लंकिनी रोका।
    मारेहु लात गई सुरलोका

  • जाय बिभीषन को सुख दीन्हा।
    सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥

  • बाग उजारि सिंधु महँ बोरा।।
    अति आतुर जमकातर तोरा

  • अक्षय कुमारा मारी संहारा।
    लूम लपेटि लंक को जारा॥

  • लाह समान लंक जरि गई।
    जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥

  • अब बिलंब केहि कारन स्वामी।।
    कृपा करहु उर अंतरयामी॥

  • जय जय लखन प्रान के दाता ।।
    आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥

  • जै हनुमान जयति बल-सागर ।
    सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥

  • ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।।
    बैरिहि मारु बज्र की कीले

  • ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीशा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीशा

  • सत्य हौ हरि शपता पायके।
    रामदुता धारू मारू धया के॥

  • जय अंजनि कुमार बलवंता ।।
    शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥

  • बदन कराल काल-कुल-घालक।
    राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥

  • भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।।
    अगिन बेताल काल मारी मर ।

  • इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की।
    राखु नाथ मरजाद नाम की ॥॥

  • सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै।
    राम दूत धरु मारु धाइ कै॥

  • जय जय जय हनुमंत अगाधा ।।
    दुख पावत जन केहि अपराधा ॥

  • पूजा जप तप नेम अचारा।
    नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

  • बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ॥।
    तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥।

  • जनकसुता हरि दास कहावौ ।
    ताकी सपथ बिलंब न लावौ

  • जै जै जै धुनि होत अकासा ।।
    सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥

  • चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।।
    यहि औसर अब केहि गोहरावौं

  • उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
    पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥

  • ॐ चान चान चान चपला चलंत।
    हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥

  • ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।।
    ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥

  • अपने जन को तुरत उबारौ ।।
    सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥

  • यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।।
    ताहि कहौ फिरि कवन उबारै

  • पाठ करै बजरंग-बाण की।।
    हनुमत रक्षा करई प्राण की॥

  • यह बजरंग बाण जो जापैं।
    तासों भूत-प्रेत सब कापैं

  • धूप देया अरु जपई हमेशा।
    ताके तन नहिं रहै कलेसा।

  • ॥ दोहा ॥
  • प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
    तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥